टपक सिंचाई अथवा ड्रिप विधि (Drip or Trickle Method of Irrigation) लाभ एवं हानियाँ

टपक सिंचाई अथवा ड्रिप विधि (Drip or Trickle Method of Irrigation) लाभ एवं हानियाँ टपक सिंचाई अथवा ड्रिप विधि (Drip or Trickle Method of Irrigation) यदि हमारे फार्म (प्रक्षेत्र) पर पानी की कमी है तो खरबूजा की खेती के लिये सिंचाई की ड्रिप अथवा ट्रिकिल सिंचाई विधि (Drip or Trickle Method of Irrigation) का प्रयोग करेंगे। ड्रिप अथवा ट्रिकिल सिंचाई विधि- सबसे पहले सिंचाई की इस विधि का प्रचलन इजराइल देश में हुआ था। किन्तु अब इस विधि का प्रयोग उन सभी क्षेत्रों में किया जाने लगा है जहाँ पानी की कमी है तथा जल लवणीय है। इस विधि में जल पौधों की जड़ों में बूँद-बूँद के रूप में ड्रिपर्स द्वारा टपकाकर दिया जाता है। इस विधि में प्रत्येक पौधे के पास प्लास्टिक पाइप लगा होता है। जिसका सीधा सम्बन्ध पानी लाने वाले पाइप से होता है। इस विधि में पानी को प्लास्टिक पाइप (PVC पाइप) के द्वारा ड्रिपर्स (पानी उगलने वाले छिद्रों) तक, जो कि सहायक नलों में लगे या बने होते हैं, पहुँचाया जाता है। ये सहायक पाइप पौधों की पंक्तियों के अगल-बगल में बिछाये जाते हैं। ड्रिपर्स में पानी का दबाव कम करने की व्यवस्था होती है। ...